1. जहां दया तहाँ धर्म है , जहां लोभ तहाँ पाप।
जहां क्रोध तहाँ काल है , जहां क्षमा तहाँ आप।।
2. क्या भरोसा देह का विनस जात छीन मांह।
सांस सांस सुमिरन करि और यातन कछु नाह।।
3. मैं रोऊँ सब जगत को , मोको रोवे न कोय।
मोको रोवे सोवना , जो शब्द बोय की होये।।
4. अंतर्यामी एक तुम , आत्मा के आधार।
जो तुम छोरो हाथ तो , कौन उतरे पार।।
5. मैं अपराधी जन्म को , नख सिख भरा विकार।
तुम दाता दुःख भेजना , मेरी करो सम्हार।।
6.
संकलन
श्री अमरनाथ तिवारी
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