भीष्म पितामह जब शर शैय्या पर पड़े थे तो एक दिन भगवन श्री कृष्णा पांडवो को लेकर उनके पास गए। संकोचपूर्वक पांडवो ने प्रणाम तो किया लेकिन कुछ बोल नहीं सके , उनकी आँखे डबडबायी हुयी थी। भीष्म पितामह ने उन्हें ढाढस बंधाया। तब भगवन श्री कृष्णा ने कहा - बारे भैया ! यह ज्ञानदीप अब बुझने वाला है , अतः आप जो भी ज्ञान की बातें पूछना चाहते हैं , पूछ लीजिये क्यूंकि इनके जैसा बताने वाला फिर बाद में मिलेगा नहीं। भीष्म पितामह ने कहा - हे केशव ! आपके रहते भला मैं क्या बताऊंगा और फिर अब कमजोरी से मेरी स्मृति भी ठीक नहीं रही। भगवन कृष्णा ने उनके सर पे हाथ रखा जिससे उनकी साडी पीड़ा जाती रही एवं स्मृति भी तजि हो गयी।
धर्मज्ञ युद्धिष्ठिर ने उनसे अनेको प्रश्न पूछे जिसका उन्होंने नीतियुक्त उत्तर दिया। महाभारत के शांति पर्व में यह वर्णित है। उन्ही में से एक प्रश्न का उत्तर यहां उद्धृत किया जा रहा है। आशा है , सुहृदय पाठक इससे लाभान्वित होंगे।
युद्धिष्ठिर ने पूछा - मनुष्य किस उपाय से दीर्घायु होता है तथा किस कारन से उसकी आयु क्षीण होती है?
भीष्म पितामह ने कहा -
1. सदाचार से मनुष्य को आयु की प्राप्ति होती है। अतः अपना कल्याण चाहने वालो को सदा सदाचार का पालन करना चाहिए।
2. जो नास्तिक , क्रियाहीन , गुरु एवं शास्त्र की आज्ञा का पालन नहीं करता , धर्म को न जानने वाला और दुराचारी है , उस मनुष्य की आयु क्षीण हो जाती है।
3. जो शीलहीन , धर्म की मर्यादा का उलंघन करने वाले तथा दूसरे वर्ण की स्त्रियों के साथ संपर्क रखने वाले हैं , वे अल्पायु होते हैं तथा मरने के बाद नरकगामी होते हैं।
4. जो क्रोधहीन, सत्यवादी , एवं कपटशून्य हैं तथा किसी प्राणी की हिंसा नहीं करते हैं वे सौ वर्ष जीते हैं।
5. जो ढेले को फोड़ता , नख चबाता।, जूठन खता है तथा सदा चंचल रहता है ऐसे कुलक्षण युक्त मनुष्य दीर्घायु नहीं होते।
6. जो ब्रह्मा मुहूर्त में उठता है - शौच स्नान करके साधन करता है तथा प्रातः काल भगवत वंदना करता है वो दीर्घायु होता है।
7. जो सांयकाल में संध्या आरती करता है तथा साधन करता है तथा सूर्योदय एवं अस्तगामी सूर्य की ओर कभी नहीं देखता वो दीर्घायु होता है।
8. परस्त्री सेवन से मनुष्य की आयु जल्दी समाप्त हो जाती है।
9. केशों को संवारना , दांत मुँह धोना , देवताओ की पूजा करना - ये सब काम दिन के पहले प्रहर में करना चाहिए। इससे आयु में वृद्धि होती है।
10. ब्राह्मण , गाय , राजा , वृद्धा , गर्भिणी स्त्री , दुर्बल , भार पीड़ित मनुष्य यदि सामने से आते हो तो स्वयं किनारे हटकर उन्हें जाने का मार्ग देना चाहिए। इससे आयु बढ़ती है।
11. दूसरे के पहने हुए वस्त्र , जुटे न पहने , सदा ब्रह्मचर्य का पालन करें , पैर से पैर को न दबाएं , सभी पक्षों की अमावस्या , पूर्णमासी , चतुर्दशी और अष्टमी तिथि को स्त्री समागम नहीं करें। किसी की निंदा , चुगली और बदनामी नहीं करें। इसका अनुपालन करने से आयु बढ़ती है।
12. दुसरो को चोट लगने वाली बात न बोलेन , औरो को निचा न दिखाएं। जिस बात से किसी को उद्वेग हो ऐसी वाणी न बोले - इससे आयु बढ़ती है ।
13. हीनांग (अंधे , काने , आदि ) विद्याहीन , निन्दित , कुरूप , निर्धन तथा दुर्बल मनुष्यो पर आक्षेप न करें। इससे आयु क्षीण होती है।
14. ब्राह्मणो की निंदा न करें , घर-घर घूमकर नक्षत्र और किसी पक्ष की तिथि न बताया करें , इससे आयु क्षीण होती है।
15. मल-मूत्र त्यागने एवं रास्ता चलने के बाद तथा स्वाध्याय और भोजन करने के पहले पैर धो लेना चाहिए इससे आयु बढ़ती है।
16. सांयकाल में न सोये , नित्य स्नान करें , सूर्योदय के समय तक नहीं सोयें। सुबह उठकर पहले माता-पिता को प्रणाम करें फिर गुरु तथा गुरुजनो को प्रणाम करें। इससे दीर्घायु प्राप्त होती है।
17. उत्तर एवं पश्चिम की तरफ सर करके न सोयें। पूर्व एवं दक्षिण की ओर सर रखकर सोयें। टूटी एवं ढीली खत पर न सोयें। अँधेरे में पड़े बिछावन पर न सोयें - प्रकाश करके देख लें तब सोयें। सबके साथ नहीं सोयें। पलंग पे तिरछा होकर न सोयें सीधा रहे। इसका पालन करने से आयु बढ़ती है।
18. आसान को पैर से खींचकर नहीं बैठे। देर रात को स्नान न करें। स्नान के बाद तेल नहीं लगाएं।
19. भोजन सदा पूरब एवं उत्तर दिशा की ओर मुँह करके करें। सदा बैठकर ही भोजन करें , चलते फिरते भोजन करें।
20. फटे हुए वस्त्र , फूटे हुए बर्तन में न खाएं। एक वस्त्र पहनकर भोजन न करें तथा नग्न होकर स्नान न करें। इससे आयु क्षीण होती है।
21. बिना बुलाएं कही न जाएं , लेकिन यज्ञ देखने के लिए जा सकते हैं। जहां अपना आदर नहीं होता है वहां जाने से आयु क्षीण होती है।
22. हाथ में नमक लेकर न चाटे , रात में दही और सत्तू न खाएं। मांस कभी न खाएं।
संकलन
श्री अमरनाथ तिवारी
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